Tuesday, June 19, 2007

धन्यवाद तेरा कंप्यूटर

दुनिया के कोने कोने में-
चाहे शख्स कहीं बैठा हो ,
संवादों से जुड़ा हुआ है इन्टरनेट पर;
धन्यवाद तेरा कंप्यूटर॥

जैसे ग्रंथों में रक्खा है -
ज्ञान का एक अनमोल खजाना ,
उसी तरह इन्टरनेट रखता -
ज्ञान भरे हर लेख यहाँ पर,
गीता वेद पुराण रामायण-
बाइबिल और कुरान सभी हैं,
कोई ग्रंथ खोज लो इस पर-
ग्रंथों की तो कमी नहीं है।

महिमा गुरू से कम न तेरी
यह विशवास तुम्हारे ऊपर ।।

कोई प्रश्न उभरता मन में-
या हो कोई बात जाननी,
कोई कठिनाई जीवन में-
इसके पास तो बैठो छण भर,
गागर में भर डाला कैसे?
इतने गहरे ज्ञान का सागर,

इतना ज्ञान मुफ़्त में मिलता ,
तेरे चंद बटन के ऊपर ॥
-विनय ओझा स्नेहिल

1 comment:

रवि रतलामी said...

आपके माध्यम से मैं भी अपने कम्प्यूटर को धन्यवाद दे देता हूँ :)