Thursday, June 7, 2007

सोंचो क्या ?

सोंचो क्या यह दुनिया में , हैरत की बात नहीं ?
कितने सीने में दिल हैं ,लेकिन जज्बात नहीं।
रहे कहॉ भगवान् न मंदिर मस्जिद में जाये तो -
काशी या काबा जैसा कोई दिल पाक़ नहीं ॥
-विनय ओझा स्नेहिल
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ग़ज़ल
यह ज़माना इस क़दर दुश्मन हमारा हो गया।
ख्वाब जो देखा था वो दिनका सितारा हो गया ॥
मेरे सीने में पला फिर भी ना मेरा हो सका -
इक नज़र देखा नहीं कि दिल तुम्हारा हो गया।
चाहतें कितनों की फूलों की अधूरी ही रहीं -
उम्र भर कांटों पे चलकर ही गुज़ारा हो गया ।
एक शै को देख कर सबने अलग बातें कहीँ -
नज़रिया जैसा रहा वैसा नज़ारा हो गया ।
वाकफियत तक नहीं महदूद मेरी दोस्ती -
मुस्करा कर जो मिला वो ही हमारा हो गया ।

-विनय ओझा स्नेहिल
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भूल जाऊं मुझे सदा मत दे ।
आतिश- ए इश्क को हवा मत दे ॥
हमने किश्तों में खुदकशी की है -
और जीने की बद्दुआ मत दे ।
मैं अकेला दिया हूँ बस्ती का -
कोई जालिम हवा बुझा मत दे।
एक यही हमसफ़र हमारा है -
दर्देदिल कि हमें दवा मत दे ।
वो कतिलों के साथ रहता है -
अपने घर का उसे पता मत दे ।
घुटके दम ही ना तोड़ दे स्नेहिल
उसको इतनी कड़ी सज़ा मतदे।

-विनय ओझा स्नेहिल

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