Friday, June 8, 2007

ग़ज़ल

हाले दिल सबसे छिपाना नहीं अच्छा होता।
फिर भी हर इक से बताना नहीं अच्छा होता।
आज का जख्म कल नासूर भी बन सकता है ,
दर्द कोई हो दबाना नहीं अच्छा होता।
दिल की चोरी बस एक बार ही वाज़िब होती ,
इससे ज्यादा भी चुराना नहीं अच्छा होता।
तेरे ऊपर जो भरोसा है न उठ जाए कहीं ,
अपने लोगों से बहाना नहीं अच्छा होता ।
थोड़ी थोड़ी ही पियो लुत्फे इजाफा होगा ,
प्यास अचानक भी बुझाना नहीं अच्छा होता।
विनय स्नेहिल

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