दर्दे गम सीने में अपने दबा तो सकते हैं ।
सुकूँ मिले ना मिले मुस्करा तो सकते हैं ।
यूं ज़रूरी नहीं हर ख्वाब का पूरा होना ,
कम से कम दिल को पल भर भुला तो सकते हैं ।
खुदकशी करनी है तो बाद में भी कर लेंगे ,
अपनी किस्मत को फिर से आजमा तो सकते हैं।
साथ में हम हैं तो फिर दाम की परवाह न कर,
हम नहीं पीते हैं फिर भी पिला तो सकते हैं।
जितना ज्यादा हो गम का बोझ मेरे सर पे रख ,
जितना भारी हो मगर हम उठा तो सकते हैं।
विनय स्नेहिल
Friday, June 8, 2007
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