Monday, June 11, 2007

अशआर

मुस्कराहट पाल कर होंठों पे देखो दोस्तो-
मुस्करा देगा यकीनन गम भी तुमको देखकर ।

थाम लेगा एकदिन दामन तुम्हार आसमाँ -
धीरे धीरे रोज ग़र उंचा अगर उठते रहे ।

यह और है कि हसीनों के मुँह नहीं लगते-
वरना रखते हैं जिगर हम भी अपने सीने में ।

पाँव में ज़ोर है तो मिल के रहेगी मंज़िल -
रोक ले पाँव जो ऐसा कोई पत्थर ही नहीं ।
-विनय ओझा स्नेहिल

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