जननायक बैठ रहे हैं भय से ,
खलनायक हैं खड़े हुए।
खलनायक हैं खड़े हुए।।
राम, कृष्ण ,शिवाजी, राणा प्रताप ,
छूट चुके आज बहुत पीछे हैं।
शकुनी,जैचंद, कंस और मीर्जाफर ही ,
मंच पर पल्थी मारे बैठे हैं ।
विदुर भीष्म के मुख पर -
ताले अब हैं जड़े हुए॥
चोर उचक्कों के हम पर अब पहरे हैं,
जिन्हे चुना जनप्रतिनिधि गूंगे और बहरे हैं,
नाम हरिश्चंद पर -
अपराध जगत से जुडे हुए॥
झूठे और सच की पहचान आज मुश्किल है,
रखना सुरक्षित ईमान यहाँ मुश्किल है,
चाँदी के ऊपर अब -
सोने के रंग चढ़े हुए॥
-विनय ओझा स्नेहिल
Friday, July 20, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
चाँदी के ऊपर अब -
सोने के रंग चढ़े हुए॥
--आज के हालातों की बढ़िया बयानी.
Post a Comment