झूठ है मालामाल देख लो अब भैया॥
आगजनी ही जिसने सीखा जीवन में ,
उनके हाथ मशाल देख लो अब भैया॥
चोरी लूट तश्करी जिनका पेशा है,
वाही हैं द्वारपाल देख लो अब भैया॥
माली ही जब रात में पेड़ों पर मिलता है ,
किसे करें रखवाल देख लो अब भैया॥
बंदूकों से छीन के ही जब खाना हो-
भांजे कौन कुदाल देख लो अब भैया॥
-विनय ओझा स्नेहिल
1 comment:
मुफ्त में पढ़ कर भी सब भग जाते है-
टिप्पणी न दें कंगाल देख लो अब भैया॥
:)
--बढ़िया है, लिखते रहें लगातार. लोग पढ़ रहे हैं, बस टिपियाते नहीं.
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