Friday, September 25, 2009

“राम तेरी गंगा मैली हो गई” - एक व्यंग्य

राम तेरी गंगा मैली हो गई’ फिल्म देखी होगी। यह फिल्म प्रधान मंत्री ने भी देखी। प्रधान मंत्री जी भले आदमी हैं। उन्होंने मंत्रियों की एक बैठक बुलाई और यह चर्चा की कि गंगा हमारी माता के समान है, और मैली हो गई हैं लिहाज़ा उनकी सफाई हमारी जिम्मेदारी है और इस सन्दर्भ में क्या किया जा सकता है? गैर सरकारी संगठनों और परियोजना विशेषग्यों से विचार-विमर्श करने पर पता चला कि कई करोड़ रूपए खर्च होंगे फिर भी उसके स्वच्छ होने की कोई गारंटी नहीं है। अब देखिए न दिल्ली में यमुना की सफाई का भगीरथ प्रयास किया हमने, परिणाम यह हुआ कि यमुना जी ही साफ हो गयीं। तो एक ने कहा कि गंगा जी साफ नहीं हो सकती हैं। उन्होंने पूँछा- ऐसा क्यों? उत्तर आया-साहब फिल्म का तात्पर्य है कि लोग गन्दे हो गए हैं,राजनीति गन्दी हो गई है। समाज गन्दा हो गया है। सारा सरकारी तंत्र भ्रष्टाचार के कोढ़ से अपंग हो गया है। जब तक ये लोग अपना पाप धोने के लिए गंगा स्नान करने प्रति वर्ष जाते रहेंगे, गंगा मैली ही रहेगी। उन्होंने पुनः प्रश्न किया-फिर क्या किया जा सकता है? उत्तर आया-सरकार गंगा माता से पहले पूरे सरकारी तंत्र की सफाई करनी पड़ेगी। सबके भीतर से भ्रष्टाचार के वायरस को निकालना होगा जो कोढ़ बन कर फूट रहा है। प्रधान मंत्री जी जेब से सूआ निकाल कार सिर खुजाते हुए कहते हैं कि फिर क्या किया जा सकता है? किसी ने कहा कि सरकारी तंत्र की सफाई तो सम्भव नहीं है क्यों कि राजनेताओं में इस बात पर आम सहमति बननी सम्भव नहीं है। चलिए गंगा की ही सफाई करते हैं। प्रश्न आया करोड़ों रूपए का खर्च कहाँ से आएगा? किसी ने कहा स्विस बैंक से सारा पैसा निकाल कर गंगा माता की सफाई में लगा देते हैं। एक स्वर आया कि हाँ सरकार अच्छा विचार है। दो नंबर का पैसा एक नंबर के काम में लग जएगा। दिव्य नदी का पावन जल सवच्छ हो जाएगा और फिर संतों द्वारा टी.वी. चैनलों पर प्रचार करा दिया जाएगा कि कांग्रेस ने गंगा माता की सफाई कराई है, जो आज तक कोई दल नहीं कर पाया । इस प्रकार लोगों के मन में कांग्रेस के प्रति अगाध श्रद्धा उमड़ेगी और हम फिर चुनाव जीत कर सत्ता में आ जाएंगे और फिर हमारा सरकारी तंत्र जो पैसा कमाएगा स्विस बैंक में वापस जमा कर देंगे। किसी ने कहा हाँ सरकार ‘रीकरिंग डिपोजिट’ खोला जा सकता है । तभी पीछे से एक स्वर आया कि स्विस बैंक में क्या तुम्हारे बाप का पैसा है। सरदार जी ने फिर सिर खुजाते होए बोला फिर वापस चला आएगा ना । पीछे से एक स्वर आया-वह कैसे? वर्तमान चुनाव आयुक्त की कांग्रेस पर पूरी निष्ठा है। चुनाव आयुक्त की इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों पर पूरी निष्ठा है,क्यों कि सॉफ्ट- वेयर उन्ही के डलवाए हुए हैं । जनता वोट के लिए चाहे कोई बटन दबाए पर गिनती कांग्रेस के ही झोली में जाएगी,किंतु कुछ भी हो पैसा स्विस बैंक से नहीं निकलेगा। मीडिया को पता चल गया तो डंका बज जाएगा कि पैसा किस पार्टी का है। कई दसकों से चले आ रहे रहस्य का पटाक्षेप हो जाएगा कि स्विस बैंकों में खाते किसी उद्योग पति के हैं या किसी समर्पित जन-सेवी के ।
तब तक एक वकील साहब का उर्वर मस्तिष्क काम कर गया। उन्होंने कहा कि हर्र लगे ना फिटकिरी रंग भी चोखा होय। गंगा का मैलापन राष्ट्रीय स्तर का है जिसे साफ नहीं किया जा सकता है। दोनों में एक समानता है इस राष्ट्र की राजनीति को जिस तरह साफ नहीं किया जा सकता है, उसी तरह गंगा का मैलापन भी साफ नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वही मन के मैले लोग गंगा में फिर डुबकी लगाएंगे और फिर गंगा मैली की मैली। ऐसे में यदि साफ सुथरा व्यक्ति भी गंगा स्नान करेगा तो वह भी मैला हो जाएगा।इस लिए गंगा का मैलापन एक राष्ट्रीय समस्या बन गई है।उसमें स्नान करके स्वच्छ होने के बज़ाय पूरा देश गन्दा हो गया है। इस लिए इसे राष्ट्रीय नदी का दर्जा दे देना चाहिए। इससे अगले आम चुनाव में हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण कांग्रेस के पक्ष में हो जाएगा और यह चुनाव परिणाम भी हमारे पक्ष में हो जाएगा । तभी एक अधिसूचना जारी की गई कि गंगा एक राष्ट्रीय नदी हैं। परिणाम स्वरूप जो हाल राष्ट्रीय पशु चीता, राष्ट्रीय पक्षी मोर का है वही हाल राष्ट्रीय नदी गंगा माता का होने वाला है।

2 comments:

Unknown said...

बहुत खूब पी पी साहब।

Unknown said...

बहुत खूब पी पी साहब।