आतंकी हमलों से हिन्दुस्तान पड़ गया खतरे में .
देश का बच्चा बच्चा हर इंसान पड़ गया खतरे में ..
चला मुकद्मा सालों तक और दोष सिद्धि तक जा पहुंचा –
पर अफज़ल की फांसी का फरमान पड़ गया खतरे में..
बेशर्मी का आज एक पर्याय बन गयी है खादी -
वीर सुभाश और बिस्मिल का बलिदान पड़ गया खतरे में..
आज लुटेरों और पुलिस में साठ- ग़ांठ कुछ ऐसी है -
आज देश का हर कोई धनवान पड़ गया खतरे में..
पहले तो वह आदेर्शों की खूब दुहाई देता था-
जब रिश्वत की रकम बढ़ी ईमान पड़ गया खतरे में..
बैंक लुटेरा ए के सैंतालिस ज़ब लेकरके पहुंचा -
दोनाली बन्दूक लिए दरवान पड़ गया खतरे में ..
राम नाम को लेकर इतनी राजनीति चमकाई कि -
रामलला मे स्थापित भगवान पड़ गया खतरे में..
नमक बढा आई चुपके से ननद सास की साज़िश में -
बहू विनिर्मित स्वाद भरा पकवान पड़ गया खतरे में॥
Saturday, June 20, 2009
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3 comments:
Good writing.
चला मुकद्मा सालों तक और दोष सिद्धि तक जा पहुंचा –
पर अफज़ल की फांसी का फरमान पड़ गया खतरे में..
-बहुत उम्दा!
आप की कविता मर्म-स्पर्शी है.डी के मिश्रा
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