Saturday, June 20, 2009

'पड़ गया खतरे में'

आतंकी हमलों से हिन्दुस्तान पड़ गया खतरे में .
देश का बच्चा बच्चा हर इंसान पड़ गया खतरे में ..

चला मुकद्मा सालों तक और दोष सिद्धि तक जा पहुंचा –
पर अफज़ल की फांसी का फरमान पड़ गया खतरे में..

बेशर्मी का आज एक पर्याय बन गयी है खादी -
वीर सुभाश और बिस्मिल का बलिदान पड़ गया खतरे में..

आज लुटेरों और पुलिस में साठ- ग़ांठ कुछ ऐसी है -
आज देश का हर कोई धनवान पड़ गया खतरे में..

पहले तो वह आदेर्शों की खूब दुहाई देता था-
जब रिश्वत की रकम बढ़ी ईमान पड़ गया खतरे में..

बैंक लुटेरा ए के सैंतालिस ज़ब लेकरके पहुंचा -
दोनाली बन्दूक लिए दरवान पड़ गया खतरे में ..

राम नाम को लेकर इतनी राजनीति चमकाई कि -
रामलला मे स्थापित भगवान पड़ गया खतरे में..

नमक बढा आई चुपके से ननद सास की साज़िश में -
बहू विनिर्मित स्वाद भरा पकवान पड़ गया खतरे में॥

3 comments:

linda said...

Good writing.

Udan Tashtari said...

चला मुकद्मा सालों तक और दोष सिद्धि तक जा पहुंचा –
पर अफज़ल की फांसी का फरमान पड़ गया खतरे में..

-बहुत उम्दा!

Unknown said...

आप की कविता मर्म-स्पर्शी है.डी के मिश्रा