मै मर रहा हूँ जीने की दुआ
मत देना ।
बुझते जज्बात के शोलों को
हवा मत देना ॥
दफ्न हैं राज़ कई अब भी मेरे
सीने में-
मेरे मरने पर कहीं मुझको जला
मत देना ॥
मुश्किलों को भी होगी
मुश्किल रहके साथ मेंरे-
भूल कर भी उन्हें मेरे घर का
पता मत देना ॥
मुझको बीमारी है ये नीद में
भी चलता हूँ-
भूल कर भी कही मुझे छत पर सुला मत देना ॥
ज़िंदगी अपनी सजाओ तो सजाते
ही रहो-
इस कदर भी उसे इतना भी सज़ा
मत देना ॥
अपनी आदत है पिलाने के बाद
पीता हूँ-
गलती से प्याले मे कुछ मेरे
मिला मत देना ॥
भूल जाता है वह खुद अपनी हदें भी स्नेहिल-
अपनी महफिल में कहीं उसको
पिला मत देना ॥
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