Saturday, November 3, 2018

मै मर रहा हूँ जीने की दुआ मत देना ।
बुझते जज्बात के शोलों को हवा मत देना ॥
दफ्न हैं राज़ कई अब भी मेरे सीने में-
मेरे मरने पर कहीं मुझको जला मत देना ॥
मुश्किलों को भी होगी मुश्किल रहके साथ मेंरे-
भूल कर भी उन्हें मेरे घर का पता मत देना ॥
मुझको बीमारी है ये नीद में भी चलता हूँ-
भूल कर  भी कही मुझे छत पर सुला मत देना ॥
ज़िंदगी अपनी सजाओ तो सजाते ही रहो-
इस कदर भी उसे इतना भी सज़ा मत देना ॥
अपनी आदत है पिलाने के बाद पीता हूँ-
गलती से प्याले मे कुछ मेरे मिला मत देना ॥
भूल जाता है वह खुद अपनी हदें भी स्नेहिल-

अपनी महफिल में कहीं उसको पिला मत देना ॥ 

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