लोकतंत्र की गाय को दुह कर कर दी ठांठ .
जनसेवी माखन भखें जन को दुर्लभ छांछ.
Sunday, July 24, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मित्रों प्रस्तुत है मेरी कुछ कविताएं और कुछ व्यंग्य जो मेरे मन की सहज अभिव्यक्ति हैं, जो मुझे जीवन के उन क्षणों में अनुभूत हुई हैं, जब मन का निर्झर स्वतः रस की धारा से आप्लावित होने लगता है तब उसी को मैनें शब्दों में बाँधने की कोशिश की है। इसमें मैने कितनी सफलता पाई है इसका निर्णय आप स्वयं करें ।
2 comments:
लोकतंत्र की गाय को दुह कर कर दी ठांठ .
जनसेवी माखन भखें जन को दुर्लभ छांछ.
..बहुत सटीक ..
Outstanding...!!!!
Post a Comment