Friday, February 13, 2009

चिराग अपनी उम्मीदों के....

बहुत अँधेरा है पर दिल को मत उदास रखो ।
चिराग अपनी उम्मीदों के आस पास रखो ॥
मेरी तस्वीर तुम्हे जाम में दिख जाएगी -
अपने होठों पे मेरे नाम की एक प्यास रखो ॥
हार ख़ुद जीत का बन हार गले आ के पड़े -
बुलंद इतना दिल में जीत का एहसास रखो॥
- विनय ओझा 'स्नेहिल'

4 comments:

रंजना said...

Waah ! aashaon se poorn sundar rachna..

विनय ओझा 'स्नेहिल' said...

dhanyavaad.

रवीन्द्र प्रभात said...

बहुत अँधेरा है पर दिल को मत उदास रखो ।
चिराग अपनी उम्मीदों के आस पास रखो ॥


अच्छी अभिव्यक्ति !

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

चलिए, अब आप कहते हैं तो रख ही लेते हैं.