Friday, September 14, 2007

कता

ख़यालों में तूं आ गया सोते सोते ।
तो दिल में सुकूँ आ गया रोते रोते।

मेरे जख्म ए दिल की नज़ाकत न पूंछो-
निगाहों से खूं आ गया रोते रोते॥

-विनय ओझा स्नेहिल