कहते हैं वो इन मुद्दों पर सवाल मत करो।
इन छोटी छोटी बातों का ख्याल मत करो॥
कोई नहीं है दूध का धुला हुआ यहाँ-
एक दूसरे के दाग़ पर बवाल मत करो॥
-विनय ओझा स्नेहिल
मित्रों प्रस्तुत है मेरी कुछ कविताएं और कुछ व्यंग्य जो मेरे मन की सहज अभिव्यक्ति हैं, जो मुझे जीवन के उन क्षणों में अनुभूत हुई हैं, जब मन का निर्झर स्वतः रस की धारा से आप्लावित होने लगता है तब उसी को मैनें शब्दों में बाँधने की कोशिश की है। इसमें मैने कितनी सफलता पाई है इसका निर्णय आप स्वयं करें ।
3 comments:
अच्छा है भाई.
पर आपके दाग पर तो करी सकते हैं. चलिए बताइए कहाँ से लगाया.
vha vha bhut acche.nice lines.
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