हम मुश्किलों से लड़ कर मुकद्दर बनाएँगे।
गिरती हैं जहाँ बिजलियाँ वहाँ घर बनाएँगे।।
पत्थर हमारी राह के बदलेंगे रेत में -
हम पाँव से इतनी उन्हें ठोकर लगाएँगे॥
-विनय ओझा स्नेहिल
Thursday, September 20, 2007
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2 comments:
बहुत ख़ूब! वीर तुम बढ़े चलो!
बनाये रखिये माहौल, वाह!!!
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