कभी इधर कभी उधर दिखाई देते हैं ।
हर एक मुद्दे पर मुखर दिखाई देते हैं ॥
दिलों में उनके सियासत के ऐब हैं सारे -
जो नैन -ओ नक्श से सुंदर दिखाई देते हैं ॥
'विनय ओझा 'स्नेहिल'
Sunday, August 10, 2008
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मित्रों प्रस्तुत है मेरी कुछ कविताएं और कुछ व्यंग्य जो मेरे मन की सहज अभिव्यक्ति हैं, जो मुझे जीवन के उन क्षणों में अनुभूत हुई हैं, जब मन का निर्झर स्वतः रस की धारा से आप्लावित होने लगता है तब उसी को मैनें शब्दों में बाँधने की कोशिश की है। इसमें मैने कितनी सफलता पाई है इसका निर्णय आप स्वयं करें ।
3 comments:
Kya baat hai Saaheb. Bahut khoob.
बहुत उम्दा, क्या बात है!
Excellent poetry!
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