कैसे रोक सकोगे बोलो उग्रवाद के हलचल को .
पहले किसको फांसी दोगे तुम कसाब या अफज़ल को ?
Tuesday, May 11, 2010
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मित्रों प्रस्तुत है मेरी कुछ कविताएं और कुछ व्यंग्य जो मेरे मन की सहज अभिव्यक्ति हैं, जो मुझे जीवन के उन क्षणों में अनुभूत हुई हैं, जब मन का निर्झर स्वतः रस की धारा से आप्लावित होने लगता है तब उसी को मैनें शब्दों में बाँधने की कोशिश की है। इसमें मैने कितनी सफलता पाई है इसका निर्णय आप स्वयं करें ।
2 comments:
काश! सत्ता के गलियारों में बैठे सुन सकते यह आवाज ......
ज्वलंत सुलगता सवाल .......
सार्थक प्रयास के लिए धन्यवाद
nice.
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