Friday, October 26, 2007

कता

उम्मीद की किरण लिए अंधियारे में भी चल।
बिस्तर पे लेट कर ना यूँ करवटें बदल।

सूरज से रौशनी की भीख चाँद सा न मांग,
जुगनू की तरह जगमगा दिए की तरह जल ॥

-विनय ओझा स्नेहिल

3 comments:

Udan Tashtari said...

सही सीख.

आलोक said...

जुगनू की तरह जगमगा दिए की तरह जल
वाह।

Batangad said...

जल भाई दूसरों को रोशनी देने के लिए जल।